नैनीताल: भारत के सबसे खूबसूरत और प्रसिद्ध पर्यटक स्थलों में एक नैनीताल में अब जमीन खत्म हो गई है। इसलिए आने वाले दिनों में नैनीताल के खूबसूरत जंगलों को काटकर यहां विकास योजनाएं एवं पर्यटकों के लिए सुविधाएं जुटाई जाएंगी। नैनीताल का मास्टर प्लान बना रही एजेंसी ने अपने सर्वे के बाद जिले के अधिकारियों के सामने कई चौंकाने वाले आंकड़े रखे हैं।
एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार नैनीताल में केवल ढाई एकड़ ही सरकारी जमीन (राजस्व विभाग एवं नगर पालिका परिषद के स्वामित्व वाली) ही खाली रह गई है। यह भूमि इतनी नहीं कि नैनीताल के रहने वाले लोगों और यहां आने वाले पर्यटकों के लिए नई पार्किंग, सड़कें, भवन व बाकी सुविधाएं यहां जुटाई जा सके। इसलिए भविष्य में नैनीताल का विकास करने के लिए आसपास के जंगलों को काटकर ही जमीन लेनी पड़ेगी। कमिसनर कुमाऊं दीपक रावत के सामने यह रिपोर्ट बीते दिनों हुई टाउन प्लानिंग कमेटी की बैठक में रखी गई है।
रिपोर्ट के अनुसार, 2041 तक नैनीताल की मौजूदा आबादी जो करीब 50 हजार के आसपास है बढ़कर एक लाख तक हो जाएगी। ऐसे में यहां के लोगों के लिए पानी, सड़क, स्वास्थ्य, पार्किंग की नई योजनाओं की जरूरत पड़ेगी। पर जमीन उपलब्ध न होने के कारण इसके लिए जंगलों को काटना पड़ेगा। पानी के लिए नैनीझील पर निर्भरता बढ़ेगी जिससे झील पर दबाव बढ़ेगा और जलस्तर ज्यादा तेजी से कम होगा। नैनीताल में 20 फीसदी से अधिक सरकारी जमीन पर मौजूदा समय में अवैध कब्जे हैं। यहां बने 50 फीसदी से ज्यादा होटल बिना सरकार से मैप पास करवाए बनाए गए हैं। ग्लोबल वॉर्मिंग को लेकर बढ़ती चिंताएं पहले ही नैनीताल के पर्यावरण को प्रभावित कर रही हैं।
नैनीताल पहुंचे 11 लाख पर्यटक, नैनीझील पर दबाव पड़ रहा
नैनीताल में पर्यटकों की संख्या भी हद से ज्यादा पहुंच गई है। नैनीताल के पर्यटन विभाग के आंकड़ों के अनुसार कोविड के झटके बाद नैनीताल में 2021 व 2022 में अब तक करीब 11 लाख से अधिक पर्यटक पहुंच चुके हैं। 2022 में तो जनवरी से जून के बीच ही अकेले 9 लाख से अधिक पर्यटक पहुंचे हैं। पर इतने अधिक पर्यटकों के नैनीताल पहुंचने के कारण प्रसिद्ध नैनीझील में सीधा दबाव पड़ रहा है। नैनीझील से पानी निकालकर ही नैनीताल के आम लोगों व होटलों को सप्लाई किया जाता है। आम दिनों में 8 क्यूसेक पानी की निकासी होती है जिससे झील का जलस्तर में रोजाना आधा इंच की कमी होती है। पर पर्यटन सीजन के पीक पर पानी की रोजाना की मांग बढ़कर 16 क्यूसेक तक पहुंच जाती है। जिससे नैनीझील में रोजाना एक इंच तक पानी कम हो जाता है। इस साल जून में हुई बारिस के कारण झील का जलस्तर जीरो प्वाइंट तक नहीं पहुंचा। पर 2018 में नैनीझील में पानी की कमी के कारण डेल्टा निकल आए थे और मछलियां तक मर रही थी।
नैनीताल मॉल रोड के झील में गिरने का खतरा, ठंडी सड़क बंद
नैनीताल के मास्टर प्लान में मॉल रोड़ को गाडियों के लिए बंद करने की सलाह दी गई है। दरअसल नैनीताल की प्रसिद्ध मॉल रोड पर भूस्खलन हो रहा है। 2018 में लोअर मॉल रोड का 30 मीटर हिस्सा नैनीझील में गिर गया था। भूगर्भीय सर्वे अब भी बता रहे हैं कि इस जगह पर पहाड़ी सिखक रही है। जिससे आने वाले समय में पूरी मॉल रोड ही झील में गिर सकती है। इसलिए एजेंसी ने मॉल रोड पर गाड़ियों की आवाजाही को बंद करने की सलाह दी है। अगर यह सलाह मान ली जाती है तो नैनीताल में गाड़ियों की आवाजाही के लिए नया वैकल्पिक रास्त बनाना पड़ सकता है।
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