बागेश्वर: construction in glacial उत्तराखंड के बागेश्वर जिले में स्थित सुंदरढूंगा ग्लेशियर Sunder dhunga glacial पर 14,500 फीट की ऊंचाई पर एक अवैध रूप से निर्मित ढांचे को ध्वस्त कर दिया गया है। यह ढांचा एक स्वयंभू बाबा द्वारा पवित्र देवी कुंड के किनारे बनाया गया था। अधिकारियों ने बताया कि यह निर्माण Nanda Devi Biosphere Reserve , जो एक यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल है, के अंतर्गत आता है, जहां किसी भी प्रकार का अवैध निर्माण सख्त रूप से प्रतिबंधित है।
उत्तराखंड के सुंदरढूंगा ग्लेशियर में कब्जा करके बाबा ने अवैध मंदिर बना दिया
प्रशासन की सख्त कार्रवाई
कपकोट के एसडीएम अनुराग आर्य ने जानकारी दी कि पुलिस, एसडीआरएफ और वन विभाग की एक संयुक्त टीम ने दुर्गम भूभाग के माध्यम से दो दिन की कठिन यात्रा कर इस ढांचे को शनिवार को ध्वस्त किया। एसडीएम ने स्पष्ट किया कि मीडिया के कुछ हिस्सों में इसे मंदिर कहा जा रहा था, लेकिन वास्तव में यह केवल एक कमरे की साधारण संरचना थी।
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नंदा देवी बायोस्फीयर रिजर्व में अवैध निर्माण
यह संरचना नंदा देवी बायोस्फीयर रिजर्व, जो कि पर्यावरणीय रूप से संवेदनशील और विश्व धरोहर स्थल है, में बनाई गई थी। संरक्षित क्षेत्र में किसी भी प्रकार का निर्माण कार्य बिना अनुमति के अवैध है और इसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाती है। आर्य ने बताया कि स्वयंभू बाबा ने स्थानीय निवासियों को यह कहकर भ्रमित किया था कि उसे एक दैवीय आदेश मिला है, जिसके तहत उसे इस संरचना का निर्माण करना था। construction in glacial
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स्थानीय विरोध और प्रशासन की प्रतिक्रिया
इस अवैध निर्माण के खिलाफ स्थानीय लोगों ने विरोध जताया, खासतौर पर तब जब बाबा ने पवित्र देवी कुंड का उपयोग Swiming pool के रूप में करना शुरू कर दिया था। स्थानीय निवासियों ने इसे धार्मिक अपवित्रता बताया, क्योंकि इस कुंड का इस्तेमाल हर 12 साल में होने वाली नंदा राजा जात यात्रा के दौरान देवताओं की मूर्तियों के स्नान के लिए किया जाता है।
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जुलाई में स्थानीय लोगों ने जिला प्रशासन को इसकी जानकारी दी, लेकिन दुर्गम इलाके और प्रतिकूल मौसम के कारण तुरंत कार्रवाई संभव नहीं हो सकी। Monsoon और क्षेत्र की प्राकृतिक आपदा संवेदनशीलता को देखते हुए प्रशासन ने बाद में कार्रवाई की, जब मौसम अनुकूल हुआ। construction in glacial
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संरचना को ध्वस्त करने का कारण
एसडीएम ने बताया कि यह क्षेत्र न केवल कठिन और दुर्गम है, बल्कि यह पारिस्थितिक रूप से नाजुक भी है, जहां किसी भी प्रकार का अवैध निर्माण यहां के पर्यावरण को नुकसान पहुंचा सकता है। अधिकारियों ने यह भी बताया कि बाबा चैतन्य आकाश का इतिहास संदिग्ध रहा है और इससे पहले उन्हें द्वाराहाट समेत कई स्थानों से बाहर निकाला जा चुका था। Sunder dhunga glacial