नैनीताल: Askot-Arakot Expedition. राज्य गठन के बाद उत्तराखंड के गांवों में क्या बदलाव आए हैं। इसे सझमने के लिए अस्कोट-आराकोट अभियान की छठी पदयात्रा का शुभारंभ 25 मई से होने जा रहा है। पिथौरागढ़ जिले के पांगु गांव से पद यात्रा आरंभ होगी। जिसका समापन 8 जुलाई को उत्तरकाशी के आराकोट में होगा। यात्रा पिथौरागढ़, बागेश्वर, चमोली, रुद्रप्रयाग, टिहरी, उत्तरकाशी तथा देहरादून जिले के 350 गांव से गुजरेगी। जिसमें 1150 किलोमीटर की पैदल यात्रा 45 दिनों में पूरी की जाएगी। Askot-Arakot Expedition
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सर्वे और डेटा सर्वेक्षण भी होगा
नैनीताल के प्रसिद्ध इतिहासकार Professor Shekhar Pathak के संयोजक है। उन्होंने बताया कि इस बार की यात्रा कई मायनों में विशेष रहेगी। क्योंकि यह पदयात्रा एक सर्वेक्षण भी होगा। जिसमें उत्तराखंड का पर्यावरण, भौगोलिक स्थिति, शैक्षणिक, आर्थिक व व्यवसायिक स्थिति के अलावा महिला व बच्चों के हालात, Covid-19 महामारी के बाद पलायन, भू-कानून और भूमि से जुड़े सवालों की पड़ताल करती चलेगी। इस बार यात्रा का प्रमुख आधार सर्वेक्षण प्रश्नावली भी होगी, जिसे के लोगों की बात आंकड़ों के जरिए भी सामने रखी जा सके। इससे पता चल पाएगा कि राज्य गठन के ढाई दशक में हम किस मुकाम पर पहुंच पाए हैं। www.phyoli.com
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देशभर से हिमालय प्रेमी जुटेंगे पदयात्रा मेें
अभियान की थीम ‘स्रोत से संगम’ रखी गई है। बताया कि अभियान में उत्तराखंड के विभिन्न विश्वविद्यालयों के शोधार्थी, प्रोफेसर, स्कूल कॉलेजों के छात्र, पत्रकार, रंगकर्मी, सामाजिक कार्यकर्ता सहित देश विदेश से भी कई हिमालय प्रेमी शिरकत कर करेंगे। Askot-Arakot Expedition
छह जिलों में 1150 किमी पदयात्रा होगी
पिथौरागढ़ जिले के अस्कोट के पांगू से शुरू होने वाली यात्रा मुन्स्यारी, नामिक, मानातोली से चमोली जिले के रेणी, जोशीमठ, पीपलकोटी, गोपेश्वर पहुंचेगी। यहां से रूद्रप्रयाग जनपद के तुंगनाथ, मंडल, उखीमठ, फाटा, त्रियुगीनारायण से टिहरी जिले के घुत्तु, बूढ़ा केदार जाएगी। इसके बद उत्तरकाशी, बड़कोट, पुरोला, त्यूनी, आराकोट में संपन्न होगी। www.phyoli.com
यात्रा के बाद रिपोर्ट बनेगी
यात्रा के बाद अभियान में हिस्सेदारी करने वाले सभी सदस्यों का सम्मेलन आयोजित करने की योजना है। सभी सदस्य यात्रा से जुड़े अपने notes, फोटो, Report व अनुभव रखेंगे। सर्वेक्षण नियमावली का परीक्षण के बाद रपट भी तैयार की जाएगी। जिससे कि उत्तराखंड के गांवों की वास्तविक स्थिति का खाका प्रस्तुत किया जा सके। हर दस साल में होने वाली यात्रा की शुरूआत 1974 में हुई थी। Askot-Arakot Expedition