दीपक पुरोहित: ग्लोबल वॉर्मिंग के कारण Himalayan flowers spesies हिमालय के फूलों का रंग बदल रहा है। फूलों पर पड़ रहे असर से जुड़े शोध को विज्ञान पत्रिका करेंट बायोलॉजी ने भी प्रकाशित किया है। जिसके अनुसार ग्लोबल वॉर्मिंग के कारण फूलों के परागण का समय बदल रहा है। फूलों के रंगद्रव्य में भी रासायनिक परिवर्तन आ रहे हैं। रंगद्रव्य ही पराबैंगनी किरणों को अवशोषित करते हैं। पर ग्लोबल वॉर्मिंग के कारण रासायनिक प्रकिया में बदलाव होने से फूलों के रंगों में भी बदलाव आ रहा है।
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Uttarakhand बायोटैक्नलॉजी परिषद के वैज्ञानिक डॉ. सुमित पुरोहित के अनुसार तापमान में बदलाव से बीजों के अंकुरित होने में दिक्कत आ रही है। जिसमें हम देख रहे हैं कि Himalayan flowers की कुछ प्रजातियों के फूल अब समय से पहले ही खिल जाते हैं। तो कई प्रजातियों को अंकुरण के लिए अनुकूल वातावरण ही नहीं मिल पा रहा।Himalayan trumpet flower , हिमालय ब्लू पोपी, ब्रह़म कमल, सालम पंजा सहित कई ऐसी प्रजातिायों पर इसका असर पड़ रहा है।
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30 साल में 45 फीसदी फूल लुप्त हो जाएंगे
रिसर्च में पता चला है कि अगले तीस सालों में हिमालय में उगने वाली 35 से 40 फीसदी फूलों प्रजातियां लुप्त हो सकती हैं। जीबी पंत राष्ट्रीय हिमालय पर्यावरण संस्थान के वैज्ञानिक डॉ. संदीप रावत के अनुसार जलवायु परिवर्तन पृथ्वी environmental impact पर बड़ा असर डाल रहा है। हिमालय में उगने वाले जंगली फूल इससे सबसे अधिक प्रभवित हो रही हैं। क्योंकि फूलों में अचानक आने वाले बदलाव को सहने की क्षमता कम होती है। Uttarakhand flora
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फूलों की घाट पर भी असर
यूनेस्को विश्व धरोहर में शामिल फूलों की Valley of Flowers घाटी के फूलों पर भी climate change का असर दिख रहा है। 87.5 वर्ग किमी में फैली इस घाटी में 500 प्रजाति के फूल खिलते हैं। यहां पोटोटिला, प्राइमिला, एनिमोन, एरिसीमा, एमोनाइटम, ब्लू पापी, मार्स मेरी गोल्ड, ब्रह्मकमल, फैन कमल जैसी कुछ प्रजातियों पर ग्लोबल वॉर्मिंग का असर है। जिस कारण यहां की बायोडायवर्सिटी को संरक्षित करने के लिए कई वैज्ञानिक शोध कर रहे हैं।