Thursday, November 21, 2024
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ग्लोबल वॉर्मिंग खत्म कर रही उत्तराखंड में फलों की खेती, पैदावार 54 फीसदी गिरी

देहरादून:Climate Change Impact on Uttarakhand Horticulture. जलवायु परिवर्तन के कारण उत्तराखंड के बागवानी उत्पादन में महत्वपूर्ण बदलाव देखे जा रहे हैं। राज्य में शीतोष्ण फलों की खेती और उत्पादन में भारी गिरावट आई है। इसके परिणामस्वरूप, किसानों को मजबूरन ऐसे फलों की खेती की ओर बढ़ना पड़ रहा है जो गर्म जलवायु में अधिक पनपते हैं।

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शीतोष्ण फलों की खेती में गिरावट

क्लाईमेट ट्रेंड्स के विश्लेषण के अनुसार, एक समय सेब, नाशपाती, आड़ू, प्लम और खुबानी जैसे शीतोष्ण फलों की समृद्ध पैदावार के लिए प्रसिद्ध उत्तराखंड में इन फसलों की उपज में तेजी से कमी आई है। पिछले सात वर्षों में यह प्रवृत्ति विशेष रूप से स्पष्ट हुई है। उत्तराखंड सरकार के बागवानी विभाग की रिपोर्ट के अनुसार, फलों की खेती का कुल क्षेत्रफल 2016-17 में 177,323.5 हेक्टेयर से घटकर 2022-23 में 81,692.58 हेक्टेयर रह गया है, जो 54 फीसदी की कमी को दर्शाता है। इसी अवधि में फलों की पैदावार 44 फीसदी घटकर 662,847.11 मीट्रिक टन से 369,447.3 मीट्रिक टन हो गई है।

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प्रमुख फलों में गिरावट
नाशपाती, खुबानी, आलू बुखारा और अखरोट की पैदावार में सबसे अधिक गिरावट देखी गई है। उदाहरण के लिए, नाशपाती की खेती के क्षेत्र में 71.61 फीसदी की कमी आई और इसकी उपज में 74.10 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई। बदलता तापमान और कम बर्फबारी इन परिवर्तनों का मुख्य कारण है, जिससे शीतोष्ण फलों की वृद्धि के लिए आवश्यक सुप्तावस्था और फूल आने के चक्र बाधित हो गए हैं।

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शीतोष्ण फलों का उत्पादन कम होने के कारण, किसान उष्णकटिबंधीय फलों की खेती की ओर बढ़ रहे हैं। अमरूद और करौंदा जैसी फसलों के क्षेत्रफल और उपज में वृद्धि देखी गई है। अमरूद की खेती के क्षेत्र में 36.63 फीसदी की वृद्धि हुई और इसकी उपज में 94.89 फीसदी की वृद्धि हुई है। Climate Change Impact on Uttarakhand Horticulture

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जिला-स्तरीय विविधताएँ

टिहरी और देहरादून जिलों में बागवानी क्षेत्र में सबसे अधिक गिरावट दर्ज की गई, जबकि अल्मोडा, पिथौरागढ़ और हरिद्वार में भी उल्लेखनीय कमी देखी गई है। अल्मोडा में फल उत्पादन में 84 फीसदी की कमी दर्ज की गई है, जो सबसे अधिक है।

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दीर्घकालिक अध्ययन की आवश्यकता

आईसीएआर-आईएआरआई के डॉ. सुभाष नटराज ने जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने के लिए जलवायु-लचीली फसल किस्मों और प्रबंधन प्रथाओं के विकास की आवश्यकता पर जोर दिया है।

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हिमाचल प्रदेश में भी प्रभाव
हिमाचल प्रदेश में भी कृषि और बागवानी उत्पादन पर जलवायु परिवर्तन का प्रभाव देखा जा रहा है। एक शोध के अनुसार, सेब का उत्पादन हर साल प्रति हेक्टेयर 0.16 टन घट रहा है और 2030 तक इसमें चार फीसदी की गिरावट आ सकती है। इस प्रकार, जलवायु परिवर्तन ने उत्तराखंड की बागवानी उत्पादन को गहरे स्तर पर प्रभावित किया है, जिससे किसानों को नए कृषि पैटर्न अपनाने की आवश्यकता पड़ रही है।

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