Thursday, November 21, 2024
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उत्तराखंड के जंगलों में मिला रंग बदलने वाला दुलर्भ मशरूम

देहरादून: उत्तराखंड के जंगलों में एक बेहद दुलर्भ मशरूम की प्रजाती पाए जाने का दावा है, जो अपना रंग बदल सकती है। लाल रंग के इस मशरूम को यदि तोड़ा जाए तो यह तुरंत ही नीले रंग का हो जाता है। इसका नाम बोलेटस रूब्रोफ्लैमियस #Boletus rubroflammeus है। बेहद जहरीले इस मशरूम प्रजाती को अब तक केवल अमेरिका व मैक्सिको के ही कुछ हिस्सों में देखा गया था। दावा है कि भारत में अब तक यह रेकार्ड बुक में दर्ज नहीं है। पहली बार नैनीताल के टिफिन टॉप के जंगलों में खोजा गया है।

यह मशरूम बोलेटस रूब्रोफ्लैमियस बोलेटेसी परिवार में बोलेट कवक की एक प्रजाति है। चटख लाल रंग का यह मशरूम बेहद जहरीला होता है। जिसे खाने पर अगर इनका सेवन किया जाए तो यह गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल संकट का कारण बन सकते हैं। पहली बार 1971 में अमेरिका के मिशीगन राज्य में इसे देखा गया था। जहां यह लकड़ी के पेड़ों के साथ एक माइकोरिज़ल एसोसिएशन में बढ़ता मिला है। कवक के फलों के शरीर (मशरूम) में कैप होते हैं जो गहरे लाल से बैंगनी लाल और गहरे लाल रंग के होते हैं। तने में मोटे, गहरे लाल रंग के जालीदार और शीर्ष पर एक संकीर्ण पीला क्षेत्र होता है।

काटने या घाव बनाने पर लाल रंग का यह मशरूम इस तरह नीले रंग में बदल जाता है।

पद्मश्री फोटोग्राफर अनूप शाह ने खोज की
इस दुलर्भ मशरूम की प्रजाती को विख्यात फोटोग्राफर नैनीताल के रहने वाले पद्मश्री अनूप साह #anupshah ने अपने कैमरे में कैद किया। अनूप साह बुधवार को ट्रेकिंग के लिए टिफिन टॉप की ओर गए तो उन्हें वहां सुर्ख लाल रंग का एक मशरूम दिखा। इस अनोखे मशरूम को उन्होंने कैमरे में कैद किया। इसके विषय में अधिक जानने के लिए मशरूम पर शोध करने वाले फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट से सेवानिवृत्त वैज्ञानिक डॉ. निर्मल एसके हर्ष को भेजी। डॉ. हर्ष ने ही इसकी इसकी पहचान की।

देश में पहली बार खोजा गया यह मशरूम:डॉ. हर्ष
44 सालों तक देशभर के मशरूम पर शोध करने वाले माइकोलॉजिस्ट डॉ. निर्मल एसके हर्ष के अनुसार यह देश में पहली बार खोजा गया मशरूम है। रेड लिस्ट ऑफ माइक्रो फंगई ऑफ इंडिया (भारत के स्थूल कवक की लाल सूची) प्रकाशित की थी। इसमें भारत से आज तक पाई गई मशरूम व कवक का डेटाबेस है। पर अभी तक देश में बोलेटस रूब्रोफ्लैमियस रिपोर्ट नहीं किया गया था।

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