देहरादून: उत्तराखंड के पाताल भुवनेश्वर गुफा को श्रद्धालुओं के लिए बंद किया गया है। गुफा में ऑक्सीजन का स्तर 1.2 प्रतिशत गिर गया है, जिससे सांस लेने में दिक्कत हो रही है। सुरक्षा के मद्देनजर पुरातत्व विभाग ने प्रवेश प्रतिबंधित कर दिया है। यह गुफा कई रहस्यों को समेटे हुए है। Patal Bhuvaneshwar
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उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले के गंगोलीहाट में पाताल भुवनेश्वर गुफा है। यहां पहुंचने के लिए लगभग 90 फीट नीचे उतरना पड़ता है। गुफा का आकार 110 मीटर तक फैला हुआ है। हाल ही में गुफा में ऑक्सीजन का स्तर कम हो गया है, जिससे पुरातत्व विभाग ने 1 अगस्त से 15 अक्टूबर तक श्रद्धालुओं का प्रवेश रोकने का निर्णय लिया है। विभाग के अधीक्षण पुरातत्विद मोहन कुमार सक्सेना के अनुसार, गुफा में ऑक्सीजन का सामान्य स्तर 19 से 21 प्रतिशत है, लेकिन हाल की जांच में यह 1.2 प्रतिशत गिर गया। यह मौसम की आद्रता के कारण हो सकता है। गुफा बारिश के बाद श्रद्धालुओं के लिए फिर खोली जाएगी।
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भगवान गणेश का कटा सिर यहीं रखे होने की मान्यता
पाताल भुवनेश्वर एक रहस्यमय गुफा है, जहां एक शिवलिंग तेजी से बढ़ रहा है। मंदिर कमेटी की अध्यक्ष नीलम भंडारी के अनुसार, मान्यता है कि शिवलिंग गुफा की छत को छू लेगा, तब प्रलय का दिन होगा। पौराणिक कथाओं के अनुसार शिवजी ने जब क्रोधित होकर भगवान गणेश का सिर धड़ से अलग किया। तो उसके बाद भगवान गणेश के सिर को यहां रखा गया था। मान्यताओं के अनुसार वह शिला के रूप में आज भी यहां हैं, जिसके ऊपर 108 पंखुड़ियों वाला ब्रह्म कमल है। इस गुफा से चारों धामों के दर्शन भी होते हैं, और हर साल हजारों श्रद्धालु इसे देखने आते हैं।
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श्रद्धालुओं को सांस लेने में दिक्कत होती
दरअसल पाताल भुवनेश्वर में पहुंचने वाले कई श्रद्धालुओं को सामान्य दिनों में ही जमीन के इतने नीचे सांस लेने में दिक्कत होती है। मंदिर कमेटी के अध्यक्ष नीलम भंडारी ने बताया कि श्रद्धालुओं की सुरक्षा को देखते हुए पुरातत्व विभाग के दिशानिर्देशों का पालन किया जा रहा है। इसलिए श्रद्धालुओं से अग्रिम सूचना तक यहां ना आने की सूचना प्रसारित की जा रही है।