देहरादून: Glacial lake Uttarakhand. उत्तराखंड से लगते हिमालय के ग्लेशियरों में 13 बेहद संवेदनशील झीलें चिन्हित की गई है। वैज्ञानिकों के अनुसार यह झीलें उत्तराखंड के अलग-अलग हिस्सों में कभी भी बड़ी तबाही का कारण बन सकती है। इसलिए दो जुलाई को में वैज्ञानिकों के दो दल इनके अध्ययन को जा रहा है। दल में वाडिया इंस्टीट्यूट के साथ ही पर्यावरण मंत्रालय के विशेषज्ञ भी शामिल होंगे। आपदा प्रबंधन विभाग के सचिव डॉ. रंजीत सिन्हा ने बताया कि Glacial lake mapping से भविष्य की आपदाओं को टाला जा सकता है। यह झीलें पिथौरागढ़ जिले में दारमा, लासरयंगती, कुटीयंगती घाटी और चमोली जिले की धौली गंगा बेसिन की वसुधारा ताल झील हाई रिस्क जोन में है।
वाडिया इंस्टीट्यूट देहरादून के वैज्ञानिक डॉ. डीपी डोभाल के अनुसार Climate Change ग्लोबल वॉर्मिंग से हिमालय की ग्लेशियर झीलों पर खतरा बढ़ रहा है। बढ़ती गर्मी के कारण ये झीलें साल दर साल पिघल रही हैं। पिघल रही झीलों को पूर्व में चिन्हित किया गया था। इसलिए वैज्ञानिकों का दल इन सभी जिलों का मुआयना करके देखेगा की झील मैं कितना पानी जमा है। क्या किसी झील में ऐसे हालात बन रहे हैं कि वह भविष्य में किसी बड़ी आपदा के कारण बन सकती है। Melting glaciers and lakes
हिमालय में संवेदनशील 188 झीलों की सूची बनाई
केंद्रीय गृह मंत्रालय के Disaster management Division और हिमालय पर्यावरण एक्सपर्ट की टीम द्वारा एक साल तक किए गए अध्ययन किया गया। टीम ने सभी Glacial lake Uttarakhand को जोखिम के आधार पर ‘ए’, ‘बी’, ‘सी’ और ‘डी’ कैटेगरी में बांटा था। ‘ए’ कैटेगरी में अति संवेदनशील 188 झीलों को रखा गया। इसमें सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश की 129, लद्दाख और कश्मीर 26, उत्तराखंड में 13 व हिमाचल प्रदेश 20 झीलें चिन्हित की गई हैं। Climate impact on glaciers Lakes